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Karwa Chauth 2017: करवाचौथ के पर्व पर जाने आखिर क्यों और कैसे आरम्भ हुई है ये प्रथा

इस साल करवाचौथ 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। करवाचौथ का पर्व कार्तिक महीने की कृष्णा पक्ष चतुर्थी पर आता है। हिन्दू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए करवाचौथ का बहुत महत्व है। करवाचौथ के दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है। हालांकि अविवाहित महिलाएं भी अपने भावी पति के लिए यह व्रत रखती हैं।

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करवाचौथ के दिन पूजा के दौरान हमेशा रानी वीरावती की कहानी सुनाई जाती है। जो सात भाइयों की अकेली बहन थी और उससे परिवार में सभी बहुत प्यार करते थे। जब वीरावती की शादी हो जाती है और वह शादी के बाद पहले करवाचौथ के व्रत के लिए अपने मायके आती है। वह पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूरा दिन व्रत रखकर उत्सुकता के साथ चांद का इंतजार करती है। वीरावती को भूखा देखकर उसके भाइयों से नहीं रहा जाता और वह पीपल के पेड़ पर एक शीशा लटका कर कहते हैं कि चांद निकल आया है। वीरावती उस नकली चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ देती है और जैसे वह खाने का निवाला अपने मुंह में डालने लगती है तभी नौकर आकर उसे संदेश देते हैं कि उसके पति की मृत्यु हो गई है। यह खबर मिलने के बाद वीरावती पूरी रात रोती रही अचानक उसके सामने एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने उसे कहा कि वह अपने पति को फिर से जीवित देखना चाहती है तो पूरे समर्पण और भक्तिभाव के साथ करवाचौथ के व्रत का पालन करें। वीरावती ने फिर से करवाचौथ का उपवास किया और उसके भक्तिभाव को देखकर देवता यम को भी उसके पति के प्राण लौटाने पड़े। बस तभी से हर विवाहित महिला इस व्रत को रखने लगी ताकि वो भी अपने पति की लम्बी उम्र की कामना कर सके।

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